घट स्थापना और पूजन की विधि

जानिए घट स्थापना और पूजन की विधि

नवरात्र का पर्व शुरू होने में चंद दिन बाकी हैं और लोग अभी से इसकी तैयारियों में जुट गए हैं। पूजा संबंधित सामान की भी लोगों नें खरीददारी शुरू कर दी है। नवरात्र के 9 दिनों में देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं उन 9 रूपों की पूजा विधि क्या है? कैसे उनकी पूजा करनी चाहिए? क्या सामान चाहिए?

 पूजा के लिए ये सामान जरूरी

नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना करें और उस दिन व्रत करने का संकल्प लें। घट स्थापना प्रतिपदा तिथि को की जाती है। घट यानि कलश..इसे भगवान गणेश का रूप माना जाता है और किसी भी तरह की पूजा में सबसे पहले पूजा जाता है।
घट स्थापना के लिए कुछ जरुरी सामान चाहिए जैसे कि पाट (जिस पर देवी मां को विराजमान किया जाएगा), जौं, साफ और शुद्ध मिट्टी, कलश, नारियल, आम के पत्ते, लाल कपड़ा या चुनरी, मिठाई, फूल, कपूर, धूप, अगरबत्ती, लौंग, देसी घी, कलावा, शुद्ध जल से भरा हुआ चांदी, सोने या फिर तांबे का लोटा, चावल, फूलों की माला, सुपारी इत्यादि। इस सामान के साथ आप देवी मां और उसके 9 रूपों की पूजा-अर्चना शुरू करें।

ऐसे करें कलश स्थापना

कलश स्थापना के लिए जरूरी है सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छे से शुद्ध किया जाए और उसके बाद एक लकड़ी के पाटे पर लाल कपड़ा बिछाएं। उसके बाद हाथ में कुछ चावल लेकर भगवान गणेश का ध्यान करते हुए पाटे पर रख दें। अब जिस कलश को स्थापित करना है उसमें शुद्ध जल भरें, आम के पत्ते लगाएं और पानी वाला नारियल उस कलश पर रखें। इसके बाद उस कलश पर रोली से स्वास्तिक का निशान बनाएं। अब उस कलश को स्थापित कर दें। नारियल पर कलावा और चुनरी भी बांधें।
अब एक तरफ एक हिस्से में मिट्टी फैलाएं और उस मिट्टी में जौं डाल दें। इस तरह कलश की स्थापना हो गई और इसके बाद 9 दिनों की देवी मां की पूजा प्रारंभ होती है।

ऐसे करेंगे पूजा, मिलेगा 100 गुना फल

पूजा के लिए देवी मां की कहानी पढ़ी जाती है। दीपक और धूप जलाई जाती है। इसके बाद अज्ञारी (गोबर के उपले को जलाकर) पर लोंग, सुपारी, देसी घी और प्रसाद चढ़ाया जाता है। ये पूजा सुबह और शाम के अलावा दिन में भी की जा सकती है। अगर कोई व्यक्ति किसी वजह से सभी दिनों में पूजा न कर पाए तो वो अष्टमी वाले दिन पूजा कर सभी दिनों के फल पा सकता है। इस तरह 9 दिनों तक नवरात्र का पूजन चलता है।

कन्या पूजन और उसका फल

अष्टमी और नवमी वाले दिन देवी के पूजन के बाद कन्या पूजन किया जाता है। कुछ लोग अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते हैं तो वहीं कुछ लोग नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं। जिन कन्याओं का पूजन किया जाता है उन्हें एक दिन पहले ही आमंत्रण दे दिया जाता है और फिर पूजन वाले दिन उनकी पूजा कर उन्हें खाना खिलाया जाता है, पैर धोए जाते हैं और फिर दान स्वरूप बाद में फल, पैसे, कपड़े जैसी चीजें दी जाती हैं।
चूंकि कन्या देवी का स्वरूप होती हैं इसलिए माना जाता है कि कन्याओं का पूजन करने से देवी मां खुश हो जाती हैं और उसका करोड़ों गुना फल देती हैं, सुख-समृद्धि देती हैं।

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