कानून व्यवस्था के लिए जोन में एडीजी बैठाने की योजना भी फेल
कानून व्यवस्था के लिए जोन में एडीजी बैठाने की योजना भी फेल
भोपाल। मप्र की कानून व्यवस्था सुधारने के लिए 11 जोन में एडीजी रैंक के अफसरों की तैनाती करने का पुलिस मुख्यालय का फैसला भी अधर में पड़ गया है। प्रदेश में एडीजी रैंक के अफसरों की भरमार होने से पुलिस मुख्यालय ने फैसला किया था कि इन अफसरों को जोन में बैठाया जाए, ताकि कानून व्यवस्था सुदृढ़ हो सके, लेकिन कई महीने बीतने के बाद भी सिर्फ तीन जोन में ही एडीजी पदस्थ हो सके हैं।
पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों के मुताबिक मप्र में करीब 50 एडीजी हैं। राजधानी में इनकी संख्या ज्यादा होने और रैंक के अनुरूप काम नहीं होने से इन्हें जोन में भेजने का फैसला किया गया था। इसके पीछे एक उद्देश्य यह भी था कि एडीजी मैदानी अमले को और ज्यादा चुस्त करें, लेकिन न तो एडीजी जोन जा पाए और न ही पुलिस का मैदानी अमला चुस्त हो पाया। इसी वजह से भोपाल में शक्ति कांड समेत प्रदेश में कई खराब कानून व्यवस्था की घटनाएं सामने आई हैं।
सिर्फ तीन जगह तैनाती कर सके
फिलहाल उज्जैन, इंदौर और बालाघाट जोन में आईजी की जगह एडीजी रैंक के अफसरों को तैनात किया जा सका है। उज्जैन में सबसे पहले एडीजी वी. कुमार को पदस्थ किया गया था। इसके बाद बालाघाट जोन में जी. जनार्दन और इंदौर जोन में अजय शर्मा को भेजा गया। इसके बाद से किसी एडीजी को जोन में नहीं भेजा गया। खास बात यह है कि मप्र पुलिस में आईजी और डीआईजी रैंक के अफसरों की भी मैदानी तैनाती जरूरत के मुताबिक नहीं है।
Source:Agency