सिगरेट पीने जितना खतरनाक है घंटे भर बैठे रहनाः शोध

सिगरेट पीने जितना खतरनाक है घंटे भर बैठे रहनाः शोध

 

सिगरेट पीने जितना खतरनाक है घंटे भर बैठे रहनाः शोध

नई दिल्लीः आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अपनी सेहत का ख्याल नहीं रख पाते है। हम कोशिश पूरी करते है कि किसी भी तरह बुरी आदतों को ना अपनाए और यदि अपनाई हुई हो तो उसे जल्द छोड़ दें।  भले ही हमें शराब, सिगरेट जैसी किसी बुरी चीज की लत ना हो लेकिन फिर भी हम अपनी दिनचर्या बहुत से ऐसे काम कर देते हैं जिससे हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है। जी हां एक शोध से पता चला है कि यदि आप ज्यादा लंबे समय तक बैठे रहते हैं तो ऐसा करना आपके लिए धूम्रपान करने से कम खतरनाक नहीं है। हम अपने कार्यालय में कंप्यूटर पर काम करते हुए, किसी का इंतजार करते हुए,  गपशप करते हुए घंटों एक जगह जरूर बैठ जाते हैं।

नौ हजार लोगों पर किए गए शोध के बाद यह बात सामने आई है कि एक घंटे से ज्यादा देर तक बैठने के बाद शरीर के मैटाबॉलिज्म (पाचन की प्रक्रिया) में भी कमी आती है, जिससे कॉलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रण से बाहर हो जाता है।  शोध के मुताबिक शारीरिक मेहनत में कमी और अनियमितताओं की वजह से हार्ट से संबंधित बीमारियों की संभावना 6 फीसदी, डायबिटीज की संभावना 7 फीसदी और स्तन कैंसर की संभावना 10 फीसदी तक बढ़ जाती है। इससे पहले भी अमेरिका के एक शोध में इस बात का भी खुलासा हुआ था कि वहां होने वाली मौतों में 3।5 करोड़ मौतों का कारण कहीं न कहीं मोटापा था।

जर्नल सकरुलेशन के अनुसार एक शोध के मुताबिक, कार्यालय में काम करने वाले ज्यादतार युवा औसतन नौ से 10 घंटे तक बैठते हैं, जबकि वे केवल सात घंटे की ही नींद ले पाते है। इस तरह से आदत के उनकी सेहत पर घातक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। शोध से पता चला है कि बैठना नई पीढ़ी के लिए धूम्रपान से कम खतरनाक नहीं है। इसके मुताबिक हर एक घंटा ज्यादा टीवी देखने वाले लोगों में मृत्यु का खतरा 11 फीसदी तक बढ़ जाता है। शोध में इसका कारण सीधे तौर पर ज्यादा देर तक बैठने को बताया गया है।

इस खतरे को ध्यान में रखते हुए दुनियाभर के कई संस्थानों में खड़े होकर काम करने की परंपरा अपना ली है। वहां काम करने के लिए थोड़े ऊंचे डेस्क बनाए जाते हैं और खड़े होकर काम किया जाता है। वहीं अगर किसी को दिन में पांच मीटिंग करनी हैं तो वह उनमें से दो बैठकों को वॉक मीटिंग या हाईकिंग मीटिंग की शक्ल देते हैं। मतलब यह कि ये दो बैठकें बैठकर करने की बजाय चलते हुए की जाती हैं।

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