
हालांकि मंडी में सौंफ की बेहतर आवक के बीच अव्यवस्थाओं से किसान और खरीदारी के लिए आने वाले किसान परेशानी उठाने को मजबूर है। इसका कारण मंडी में सौंफ बेचने आने वाले किसानों के लिए रात्रि में रहने-ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है। साथ ही सुलभ सुविधाएं बंद है। ऐसे में किसान खुले आसमान शीतलहर में रात काटने को मजबूर होते है।
उत्तर प्रदेश से सौंफ खरीदने आए व्यापारी गोपाल गुप्ता ने बताया कि मंडी में अव्यवस्थाएं है। ठहरने और प्रसाधन की समस्याएं है। इससे काश्तकार और किसान दोनों असुविधा झेलते है। जब मंडी में शुल्क लिया जाता है तो आवश्यक सुविधाएं सुचारू रखना चाहिए।
सीजन में झेलते हैं परेशानी
बता दें कि सौंफ का सीजन दिसंबर अंत से लेकर फरवरी माह तक चलता है। चूंकि इस समय शीतलहर चलता है। सीजन में प्रति रविवार मंडी खुलती है। यहां बड़वानी सहित खरगोन, धार, झाबुआ, आलीराजपुर जिले के किसान सौंफ बेचने के लिए शनिवार रात को ही मंडी में पहुंच जाते है। यहां विश्राम गृह बंद रहने से किसानों को खुले टिनशेड में ही रात काटनी पड़ती है। ऐसे में वृद्ध किसान अधिक परेशान होते है।
दिल्ली से अन्य राज्यों में बेचते हैं सौंफ
दिल्ली से खरीदी के लिए बड़वानी आए सहदेव गुप्ता ने बताया कि यहां निमाड़ की सौंफ की मांग दिल्ली में काफी है। यहां से सौंफ खरीदकर प्रोसेस किया जाता हैं, उसके बाद देशभर के राज्यों में बेचा जाता है। इस बार मंडी में सौंफ की आवक बेहतर होने के साथ सौंफ की क्वालिटी काफी अच्छी है।
गंधवानी मंडी से बड़वानी में आवक घटी
स्थानीय व्यापारी इरफान अली ने बताया कि मंडी में इस बार सौंफ अच्छी क्वालिटी की जा रही है। अली के अनुसार रविवार को मोटी सौंफ 40 से 150 रुपए, मीडियम सौंफ 80 से 160 और बेस्ट क्वालिटी की बारीक सौंफ 180 रुपए तक थोक भाव में बिकी है। व्यापारियों ने बताया कि बीते वर्षों में बड़वानी के अलावा धार जिले के उमरबन और गंधवानी में सौंफ की मंडी लगने लगी है। इससे बड़वानी की मंडी में सौंफ आवक में काफी कमी आई है। गंधवानी में गुरुवार को और उमरबन में शनिवार को मंडी में सौंफ नीलामी होती है।
300 बोरी से अधिक आवक