राज्य

बेरोजगारी विरोधी आंदोलन के प्रतिनिधि मंडल ने सौंपा ज्ञापन, जांच की मांग की

पैसा एक्ट के समन्वयक व सीएम राइस में हुई भर्तियों पर सवाल उठाए

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बेरोजगारी विरोधी आंदोलन के तहत युवाओं ने शुक्रवार को कलेक्टोरेट में नायब तहसीलदार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इसमें मुख्य रुप से प्रदेश में हाल ही में आदिवासी क्षेत्रों में पैसा कानून के तहत जिला व ब्लॉक समन्वयक पदों तथा सीएम राइज स्कूलों में कम्प्यूटर डॉटा एंट्री के पदों में पिछले दरवाजे से की गई नियुक्ति में धांधली के आरोप लगाए। साथ ही प्रदेश में लगातार बढ़ते पेपर लीक के मामले में जांच की मांग की।

ज्ञापन अवसर पर ज्ञापन में ताराचंद आवासी, मुकेश मोर्या, संदीप सोलंकी, सावन, अजय मुजाल्दे, दिलीप मंडलोई आदि मौजूद थे। युवाओं ने कहा कि सरकार पिछले दिनों से 1 लाख नौकरियां देने का वादा कर रही है, ऐसे ही वादे केंद्र सरकार ने भी किए थे, लेकिन हकीकत सामने जब आई जब विधानसभा में जानकारी दी गई की प्रदेश में 39 लाख पंजीकृत बेरोजगार है और अभी तक सरकार ने मात्र 21 लोगों को ही नोकरी दे पाई है। पिछले 4 सालों से प्रदेश में एक भी भर्ती पूर्ण नहीं कर पाई है। प्रदेश में लगभग 90 लाख के ऊपर युवा बेरोजगार है। जबकि लाखों पद सरकारी विभागों में खाली पड़े हैं। बेरोजगारी के कारण युवा आत्महत्या करने पर विवश है। ऐसी स्थिति में सरकार प्रदेश के युवाओ के साथ धोखा कर रही है।

क्या किसी बड़े नेता ने अपने चहेतों को नियुक्ति दी?

वहीं अभी हाल ही में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने 20 जिलों में पेसा कानून जिला समन्वयकों और 89 ब्लॉक समन्वयकों की भर्ती होने की बात सामने आई हैं, जो सवालों के घेरे में है। इसमेंं सरकार ने पहले तो भर्ती का विज्ञापन जारी किया। मेरिट के आधार पर 890 अभ्यर्थियों की सूची बनाई। बाद में वक्त कम होने की बात कहकर प्रक्रिया ही निरस्त कर दी और कथित तौर पर अपात्र लोगों को नौकरी पर रख लिया और जो इस नौकरी के असली हकदार थे, उन्हें कुछ नहीं मिला। इसी तरह सीएम राइज स्कूलों में डाटा एंट्री ऑपरेटर की नियुक्ति की गई है, ये भर्ती कब हुई? इसका किसी को पता ही नहीं चला। वहीं किसी जिले की लिस्ट वायरल हुई है उसके सीधा प्रतीत हो रहा है कि किसी बड़े नेता ने सिर्फ अपने चहेतों को नियुक्ति दी है। वहीं सुमेर सिंह बड़ोले ने बताया कि सरकार प्राइवेट कंपनियों को परीक्षा कराने का ठेका दे रही है। इस कारण देशभर सहित मप्र में पिछले 5 सालों में 18 बार पेपर लीक के मामले आ चुके है। परीक्षा सेंटर पर सर्वर डाउन होना कंप्यूटर बंद होना जैसी कई समस्याएं छात्र झेल रहे है। इन सब के कारण सवा करोड़ से ज्यादा युवाओं को परेशानी झेलना पड़ा है। इसके चलते हजारों युवाओं ने आत्महत्या जैसे घातक कदम उठाएं है।

ज्ञापन में इन मांगों का जिक्र किया

आदिवासी क्षेत्रों में पैसा कानून जिला व ब्लॉक समन्वयक पदों व सीएम राइज स्कूलों में कम्प्यूटरों डाटा एंट्री के पदों में हुई धांधली आर परीक्षाओं में हो रही हो रही गड़बडिय़ों की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए।

सरकारी विभागों में रिक्त पड़े पदों को तुरंत भरा जाए।

कर्मचारी चयन मंडल जो भी परीक्षा हो उसे निष्पक्ष कराई जाए।

परीक्षा सेंटर चुने हुए विकल्पों में से दिया जाए।

कर्मचारी चयन मंडल जो भी परीक्षा कराए सरकारी कंपनीे को दी जाए।

सरकार सुनिश्चित करें कि आगे से कोई भी पेपर लीक नहीं होगा और किसी भी तरीके की एग्जाम सेंटर में गड़बड़ी नहीं होगी।

शिक्षक पात्रता वर्ग 1, 2 व 3 में ई डब्ल्यू एस की तरह एसटी, एससी व ओबीसी को 10 प्रतिशत अंकों की छूट की जाए।

 

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